Thursday, March 13, 2014

इक ये भी जिंदगी है




इक ये भी जिंदगी है ,
कि हर सुबह ऑफिस में,
कि हर शाम ऑफिस में,
सुबह सोता छोड़ गए लाडले को,
और आने पर सोता ही पाया,
पर ऑफिस का काम,
क्या आज तक कोई खत्म कर पाया ?

अब तो बच्चे भी नहीं जागते विमानों की तेज गड़गड़ाहट से,
जगने पर बस जिद ,
बुलाओ डैडी को तो मैं भी स्कूल जाऊँ,
खुद तो वो टेक ऑफ कर गए,
मैं भी टेक ऑफ कर आऊँ ।

सुबह का नाश्ता अकेला,
लंच में बस इंतज़ार,
शाम की वॉक भी अकेले,
डिनर में बस हम हैं साथ-साथ,
वो भी अगर नाइट-फ्लाइंग की न हो बात ।

पर सुना है काफी खास काम है,
देश की सुरक्षा,
बिरलों को नसीब होती है ऐसी किस्मत,
मातृभूमि की सेवा,
उस जज़्बे में हम भी हैं आपके साथ,
चलेंगे साथ हम,
हर कदम पर,
अगर हमारे एक परिवार के त्याग से,
जलते हैं करोड़ों घरों के दीपक,
रहेगा हमेशा ये अभिमान,
कि हम हैं वायु-संगिनी ।











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