Saturday, October 1, 2011

जाने क्युं




जाने क्युं वो साँसों की डोर टूटने नहीं देता ,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर मुझे रुकने नहीं देता ,

बात कहता है वो मुझसे हँस हँस कर जी लेने की ,
अजीब शख्स है मुझे चैन से रोने नहीं देता ,


आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का ,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे टूटकर बिखरने नहीं देता ,

शायद जानता है वो भी इन आँखों में आंसुओं का सैलाब है
जाने क्युं फिर भी वो इन आंसुओं को गिरने नहीं देता ,


मुझसे कहता है "मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना "
मैं जिंदा हूँ अब तक की वो मुझे मरने नहीं देता .