Monday, November 7, 2011

इतने अरसे बाद.....

 
इतने अरसे बाद , कोई ऐसा मिला
जिसे अपना कह सकूं
ऐसा जैसे.....
दरख्तों पे चांदनी आई
पतझड़ से मधुमॉस आया
निराशा से आशा आई
जीवन में मेरे अभिलाषा आई
प्रसुप्त मन कलरवित हो उठा
ऐसा था उसका रूप
जैसे भीगा सावन
जैसे महकता पवन
जैसे उड़ते विहग
जैसे चंदा की चांदनी
जैसे चटक को स्वाति
मानो चकवे को चकवी
मानो सरिता का उछाल
मानो सुमित की साँस
जैसे सूरज की निधि
मेरे लिए वो बन रहा आधार
मेरी अपनी अनुभूति
मेरा सबल पक्ष
मेरी प्रेरक शक्ति
इतने अरसे बाद, मिला मुझे
मेरे कर्तव्य सूत्र का त्राण
मेरा जीवन सार
इतने अरसे बाद.....

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