ये मेरी कुछ बानगी है , कुछ शब्दों से , कुछ अन्य माध्यमों से....
आप सब की शाबाशियाँ हौसला बढ़ाती हैं...
कैसा लगा ये जरूर बताएं...
हिन्दी भाषा जो हमारी राजभाषा है जिसे हम आधुनिकता में भूलते जा रहे हैं, उसी को जीवित रखने की मेरी एक छोटी सी कोशिश है । आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए रोशनी की वह लौ है जो किसी भी अंधेरे को चीरने में समर्थ है ।
Thursday, May 24, 2012
पत्थर की है ये दुनिया , जज़्बात नहीं समझती ,
दिल में जो है वो बात नहीं समझती ,
तनहा तो चाँद भी है सितारों के बीच मगर , चाँद का दर्द ये बेवफा रात नहीं समझती
Yessssss.....
ReplyDeleteYe Jiwan hai. is jiwan ka yahi hai rang roop