Wednesday, May 29, 2013

जब तक सांसें चलेगी







अब तो टूटा न लगे कोई परिंदा ,
रूठा न लगे कोई अपना 
सरहदें पार कर वो आपकी हसरतें पूरी करेगा 
बस एक बार मुस्कुरा के अपना समझना 
फिर उम्मीद के दामन में 
फूल और खुशियाँ भर देगा 
बस एक बार रूबरू तो होना 
वो खिलने से पहले इजाजत लेगा 
निकलने से पहले किरण भेज पूछेगा 
बहने से पहले हवा की फितरत मांगेगा 
निशा की चांदनी मांगेगा 
रात का शबनम भी
बस एक बार आप  कह के तो देखो ,
जिन्दाए बुत बन जायेंगे 
जब तक सांसें  चलेगी आपकी खातिर कुछ भी ।  

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