चले थे राह में तनहा..........
कि कही कभी मेरा आशियाँ मिलेगा ........
पल -पल बुना था सपना कि , कोई ,कहीं , मेरे इंतजार में होगा
राह चली उसके साये के साथ ..............
कि उसे ये एहसास न हो कि , वो एक क्षण के लिए भी अकेला है ...............
न उसे ये महसूस होता कि ..............
ये पलकें क्यों नम हैं
ये आँखें क्यों भरी हैं ..........
ये आवाज क्यों संजीदा हैं ............
जली रोटी का न दर्द जाना था ??????
अधपके चावल का न मर्म जाना था
रची हथेली का न ख्वाब जाना था ???????
साजो -सिंगर का न अरमान जाना था ,,,,,
फिर भी तकिये गीले कर -कर काटी है ,,,,,,,,,,,,,जिन्दगी
उसके रुख के इंतजार के लिए ..................
जानते हैं , ......................................
कि कही कभी मेरा आशियाँ मिलेगा ........
पल -पल बुना था सपना कि , कोई ,कहीं , मेरे इंतजार में होगा
राह चली उसके साये के साथ ..............
कि उसे ये एहसास न हो कि , वो एक क्षण के लिए भी अकेला है ...............
न उसे ये महसूस होता कि ..............
ये पलकें क्यों नम हैं
ये आँखें क्यों भरी हैं ..........
ये आवाज क्यों संजीदा हैं ............
जली रोटी का न दर्द जाना था ??????
अधपके चावल का न मर्म जाना था
रची हथेली का न ख्वाब जाना था ???????
साजो -सिंगर का न अरमान जाना था ,,,,,
फिर भी तकिये गीले कर -कर काटी है ,,,,,,,,,,,,,जिन्दगी
उसके रुख के इंतजार के लिए ..................
जानते हैं , ......................................
खुद जलके भी चिराग रौशनी ............
क्यों देता है ?????????????
क्यों देता है ?????????????
क्योंकि उसे प्यार है .................................
उजाले से आई ,चेहरे की हर खुशी से .............................
क्योकि जब मन जुड़ जाता है तो बस इंतजार ही एक आस राह जाती है ...........................
क्योकि जब मन जुड़ जाता है तो बस इंतजार ही एक आस राह जाती है ...........................
No comments:
Post a Comment